राम लला की आरती - Ram Lala Ki Aarti
इस आरती में भगवान राम की महिमा, गुण, और कृपा का गान किया जाता है। यह आरती भक्तों द्वारा प्रतिदिन प्रातः और सायं समय में चलाई जाती है। इसमें भक्त भगवान राम की प्रसन्नता और आशीर्वाद की कामना करते हैं।
आरती कीजे श्रीरामलला की । पूण निपुण धनुवेद कला की ॥
धनुष वान कर सोहत नीके । शोभा कोटि मदन मद फीके ॥
सुभग सिंहासन आप बिराजैं । वाम भाग वैदेही राजैं ॥
कर जोरे रिपुहन हनुमाना । भरत लखन सेवत बिधि नाना ॥
शिव अज नारद गुन गन गावैं । निगम नेति कह पार न पावैं ॥
नाम प्रभाव सकल जग जानैं । शेष महेश गनेस बखानैं ॥
भगत कामतरु पूरणकामा । दया क्षमा करुना गुन धामा ॥
सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा । राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ॥
खेल खेल महु सिंधु बधाये । लोक सकल अनुपम यश छाये ॥
दुर्गम गढ़ लंका पति मारे । सुर नर मुनि सबके भय टारे ॥
देवन थापि सुजस विस्तारे । कोटिक दीन मलीन उधारे ॥
कपि केवट खग निसचर केरे । करि करुना दुःख दोष निवेरे ॥
देत सदा दासन्ह को माना । जगतपूज भे कपि हनुमाना ॥
आरत दीन सदा सत्कारे । तिहुपुर होत राम जयकारे ॥
कौसल्यादि सकल महतारी । दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ॥
सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई । आरति करत बहुत सुख पाई ॥
धूप दीप चन्दन नैवेदा । मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ॥
राम लला की आरती गावै । राम कृपा अभिमत फल पावै ॥