तिलक लगाने के पीछे क्या कारण है? - What is the reason behind applying tilak?
तिलक लगाना हिंदू परंपरा में इस्तेमाल की जाने वाली एक विशेष रस्म है। बिना तिलक लगाए न तो पूजा करने की अनुमति मिलती है और न ही पूजा पूरी होती है।
सनातन धर्म में तिलक कई विभिन्न प्रकारों में लगाया जाता है, जो विभिन्न सम्प्रदायों और परंपराओं के अनुसार भिन्न-भिन्न रूपों में होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख तिलकों का वर्णन है:
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श्रीवत्स तिलक: यह तिलक चक्रवाल के बगल में, उसके बाएं ओर और ऊपर लगाया जाता है। यह विष्णु भगवान के परम संकेत को प्रतिनिधित्त करता है।
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उद्द्योताकर तिलक: यह तिलक ब्रह्मा के सिर पर लगाया जाता है और सभी उपासनाओं में उच्च विधान को प्रतिनिधित्त करता है।
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त्रिपुंड्र तिलक: यह तिलक शिव के प्रतिनिधित्त को दर्शाता है और तीनों धार्मिक गुणों का प्रतिनिधित्त करता है - सत्त्व, रज और तम। इसे भूमि, आकाश और पाताल के संयोग के रूप में भी देखा जाता है।
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गोपीचंदन तिलक: यह तिलक कृष्ण भगवान के प्रतिनिधित्त को प्रकट करता है और भक्ति और प्रेम का प्रतिनिधित्त होता है।
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कुमकुम तिलक: यह तिलक माँ दुर्गा और देवी काली के प्रतिनिधित्त को प्रतिनिधित्त करता है और वीर्य और बल को प्रकट करता है।
ये केवल कुछ प्रमुख तिलकों की एक छोटी सी सूची है। अलग-अलग सम्प्रदायों और परंपराओं में और विभिन्न धार्मिक उद्देश्यों के अनुसार और भी कई प्रकार के तिलक होते हैं।
तिलक लगाने के नियम
1. बिना स्नान किए तिलक न लगाएं।
2. सबसे पहले अपने इष्ट देव या भगवान को तिलक लगाएं, फिर खुद को तिलक लगाएं।
3. अपनी अनामिका उंगली से और दूसरी उंगली से अपने अंगूठे से खुद को तिलक लगाएं।
तिलक लगाने का धार्मिक महत्व
1. चंदन का तिलक लगाने से एकाग्रता बढ़ती है।
2. रोली और कुमकुम का तिलक लगाने से आकर्षण बढ़ता है और आलस्य दूर होता है।
3. केसर का तिलक लगाने से यश बढ़ता है और कार्य पूर्ण होते हैं।
4. गोरोचन का तिलक लगाने से विजय प्राप्त होती है।
5. अष्टगंध का तिलक लगाने से विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
ग्रहों को मजबूत करने के लिए तिलक लगाने के नियम
1. सूर्य - अनामिका उंगली पर लाल चंदन का तिलक लगाएं।
2. चंद्रमा - कनिष्ठा उंगली पर सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
3. मंगल - अनामिका अंगुली पर नारंगी सिन्दूर का तिलक लगाएं।
4. बुध - कनिष्ठा उंगली पर अष्टगंध का तिलक लगाएं।
5. बृहस्पति - तर्जनी पर केसर का तिलक लगाएं।
माथे के अलावा गर्दन, छाती और बांहों पर भी क्यों लगाया जाता है तिलक?
1. गले पर तिलक लगाने का महत्व और फायदे
गले पर तिलक लगाना बहुत शुभ माना जाता है। हमारी वाणी का संबंध गले से होता है, भोजन नली भी गले के करीब से होकर गुजरती है। इन सभी महत्वपूर्ण अंगों को नियंत्रित करने के लिए गर्दन पर तिलक लगाया जाता है। गले पर तिलक लगाने से गला शांत रहता है और वाणी मधुर रहती है। कहा जाता है कि यहां तिलक लगाने से भगवान का वास होता है। श्वास की गति शांत हो जाती है और मंगल ग्रह मजबूत हो जाता है।
2. छाती पर तिलक लगाने का महत्व और फायदे
कहते हैं सीने पर भगवान का वास होता है। यहां तिलक लगाने से ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है। व्यक्ति के मन से भय, क्रोध, तृष्णा और अशांति की समस्या दूर रहती है। छाती पर तिलक लगाने से मन शांत होता है। मन में कोई द्वेष नहीं होता है। भगवान हृदय में निवास करते हैं। इसका मतलब है कि हम भगवान को तिलक लगा रहे हैं।
3. बांह पर तिलक लगाने का महत्व और फायदे
भुजा का संबंध शुक्र ग्रह से है। यहां तिलक लगाने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है। यहां तिलक लगाने से भगवान बांहों में वास करने लगते हैं। यदि किसी व्यक्ति का शुक्र ग्रह कमजोर है तो उसे मजबूत करने के लिए उसकी भुजा पर तिलक लगाएं। इसके अलावा ऐसा करने से हाथों से संबंधित बीमारियां भी नहीं होती हैं। यह शक्ति और साहस का भी प्रतीक है।