चामुंडा माता मंदिर - चोटीला | Chamunda mata mandir - Chotila

चोटिला में स्थित चामुण्डा माता मंदिर गुजरात, भारत में स्थित है। यहाँ पर चामुण्डा देवी की पूजा और भक्तों का आदर किया जाता है। मंदिर का स्थान पहाड़ी क्षेत्र में है

चामुंडा माता मंदिर - चोटीला |  Chamunda mata mandir - Chotila

चामुंडा माता का यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है जिसमे लगभग 700 सीढ़ियाँ हैं जो भक्तों को माँ के द्धार तक पहुँचती हैं। चढ़ाई के रास्ते में यात्रियों की सुविधा के लिए सीढ़ियों के किनारे स्टील के पाइप लगे हुए हैं जिसकी सहायता से बड़े बुजुर्ग लोग आसानी से माँ के दरबार तक पहुँच पाते हैं, पूरे रस्ते में छाया की व्यवस्था की गई है।

 

हां एक छोटा सा बाजार भी है जहाँ श्रद्धालु माँ की पूजा के लिए नारियल, प्रसाद आदि ले सकते हैं। बाजार में आप को गन्ने का रस, बच्चों के लिए खिलौने भी मिल जाते हैं।

चामुंडा माँ के दर्शन करने के लिए आप को 30 मिनिट का सफर तय करना होता है, इस चढान को पार करने के बाद आप पहाड़ की चोटी पर पहुंच जाते हैं , यहॉ पर जूते चप्पल रखने के लिए स्टैंड मिल जाते है जहाँ आप सुरक्षित जूते चप्पल रख के हाथ पैर धोके माँ के दर्शन के लिए मंदिर (Chamunda Mataji Temple) में प्रवेश करेँगे। मंदिर में कई हवन वेदियाँ बनी हैं. जहाँ माता जी की जोत जलती रहती हैं। वैसे तो मंदिर में फोटो खींचने या वीडियो बनाने की सम्पूर्ण मनाही है , फिर भी कई श्रद्धालू फोटो एवं वीडियो बनाते रहते हैं।

चोटिला पहुंचने के लिए आपको सुरेंद्र नगर जिले पहुंचना होगा जो राजकोट शहर के पास है। यह मंदिर अहमदाबाद से 170 किलोमीटर तथा राजकोट से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हाँ आप गुजरात रोडवेज बस से जा सकते हैं. नजदीकी रेलवे स्टेशन व हवाई अड्डा राजकोट एवं अहमदाबाद में हैं।

भारत भर में हजारों भक्त साल भर चोटिला में चामुंडा मां मंदिर जाते हैं। चामुंडा माता गुजरात में कई समुदायों की कुलदेवी हैं, इसलिए भक्त मां चामुंडा के दर्शन के लिए यहां आते हैं। नवरात्रि यहाँ आने का एक विशेष समय है क्योंकि भारत भर में माँ देवी शक्ति का प्रत्येक मंदिर इन नौ दिनों को बड़ी भक्ति के साथ मनाता है।

नवरात्रि के अलावा हर रविवार और छुट्टियों के दिनों में यहां काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। साथ ही कार्तिक मास के दौरान हजारों भक्त यहां आते हैं और मां देवी चामुंडा के दर्शन का आशीर्वाद लेते हैं।

चामुंडा माता मंदिर ट्रस्ट भोजनालय, अतिथि कक्ष और त्योहारों के प्रबंधन जैसी कई गतिविधियों में शामिल है। एक भक्त अपनी इच्छा के अनुसार नवचंडी यज्ञ, चौल क्रिया और अन्य यज्ञ जैसे विभिन्न अनुष्ठान भी कर सकता है। चोटिला में भक्तों की सुविधा के लिए बहुत सारे निजी होटल, गेस्ट हाउस, धर्मशाला, रेस्टोरेंट, भोजनालय उपलब्ध हैं।

चोटिला मंदिर का इतिहास – (History of Chotila Temple)

चोटिला को प्राचीन काल में छोटगढ़ के नाम से जाना जाता था। यह मूल रूप से सोढा परमारों की पकड़ थी, लेकिन खाचर काथियों द्वारा जगसियो परमार से जब्त कर लिया गया, जिन्होंने इसे अपनी प्रमुख सीटों में से एक बना दिया। अधिकांश खाचर काथियों की उत्पत्ति चोटिला घर से हुई है। चोटिला को 1566 ई. में काथियों ने अधिग्रहित कर लिया था। यह ब्रिटिश काल के दौरान एक एजेंसी थाने का मुख्यालय है।

कहानी तब की है जब राक्षस चंद और मुंड देवी महाकाली पर विजय प्राप्त करने के लिए आए थे और इसके बाद हुई लड़ाई में देवी ने उनके सिर काट दिए और उन्हें मां अंबिका को भेंट कर दिया, जिन्होंने बदले में महाकाली से कहा कि उन्हें चामुंडा देवी के रूप में पूजा जाएगा।

चोटिला मंदिर की मूर्ति स्वयंभू है। माता एक बार उनके भक्त के सपने में आईं। उसने उसे एक निश्चित स्थान खोदने और उसकी मूर्ति का अनावरण करने का आदेश दिया। उन्होंने ऐसा ही किया और चामुंडा मां की मूर्ति मिली। उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया था। आज भी मंदिर उसी स्थान पर है फिर भी तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए विस्तारित हॉल और कालीन के साथ सीढ़ियों के साथ कई बदलाव हुए हैं।

चामुंडा की जुड़वां मूर्तियों का समापन इस प्रकार होता है। करियो भील चामुंडा मां के भक्त थे। उन्होंने चामुंडा मां से वादा किया है कि अगर उन्हें बच्चा हुआ तो वह चोटिला मंदिर में चामुंडा मां की एक और मूर्ति बनवाएंगे। संतान प्राप्ति के बाद वह अपनी इच्छा भूल कर अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो जाता है। माँ ने उसे वह शाल भी दिया है जिस पर बैठने पर वह हवा में उड़ जाएगा। इस आदमी ने अंग्रेजों द्वारा लूटे गए गहनों और धन को बचाने और फिर उन्हें गरीबों में बांटने का काम दिया था। लेकिन, एक बार ऐसा करते हुए वह पकड़ा गया और उसे जेल की सजा हुई। जब वह सो रहा था तो उसे माँ का सपना आया और माँ ने उसे अपना वादा याद दिलाया। करियो भील को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने माँ की एक और मूर्ति बनाने का वादा किया। लेकिन, चामुंडा मां दयालु थीं और उन्होंने स्वयं की एक और मूर्ति प्रकट की। इसलिए चामुंडा मां की दो मूर्तियां हैं।

जानकारियां - Information
बुनियादी सेवाएं प्रसादम,होटल,बैठने की बेंचेस,पार्किंग,डाइनिंग हॉल
देख-रेख संस्था श्री चामुंडा माताजी सेवा ट्रस्ट
द्वारा उद्घाटन -
समर्पित श्री चामुंडा माता
समय सुबह 5:00 बजे से श्याम 7:30
पूजा का समय प्रातः 5:30 बजे
दर्शन में लगने वाला समय 5 मिनट अगर भीड़ नहीं रही तो, वरना 30 मिनट
घूमने का सबसे अच्छा समय -
फोटोग्राफी हाँ
नि:शुल्क प्रवेश हाँ
वेबसाइट www.chamundamatajidunger.org/
फोन +91 2752 285200

कैसे पहुचें - How To Reach
पता
सड़क/मार्ग सुरेंद्रनगर सेंट्रल बस स्टैंड से 72.2 किमी
रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन थान जंक्शन लगभग 20.9 किलोमीटर दूर है
हवा मार्ग निकटतम हवाई अड्डा राजकोट है जो लगभग 48.5 किलोमीटर दूर है
नदी N/A
निर्देशांक 22.4262791,71.192511

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