विंध्यवासिनी देवी मंदिर - Vindhyachal Devi Temple

विन्ध्यवासिनी धाम मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है, जो भारत के पश्चिमी उत्तर प्रदेश राज्य के मंडाकिनी नदी के किनारे स्थित है। यहाँ पर मां विन्ध्यवासिनी देवी को पूजा जाता है, जो नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। विन्ध्यवासिनी धाम मंदिर में मां विन्ध्यवासिनी का मंदिर स्थित है, जिसे भक्तों द्वारा बड़े ही श्रद्धा और भक्ति से पूजा जाता है। मंदिर का स्थान आसानी से उपलब्ध है और यह दर्शनीय स्थल के रूप में भी माना जाता है। यहाँ पर भक्त अपनी मां की आराधना करते हैं और अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। विन्ध्यवासिनी धाम मंदिर के आस-पास कई छोटे-बड़े मंदिर भी हैं, जो धार्मिक और परंपरागत महत्व के साथ जुड़े हैं। यहाँ पर नवरात्रि के अवसर पर बड़ा मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें लाखों भक्त आते हैं और मां विन्ध्यवासिनी को अपनी प्रार्थनाओं की सुनाई करते हैं। विन्ध्यवासिनी धाम मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है जो धार्मिक और परंपरागत महत्व के साथ हिंदू धर्म के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

विंध्यवासिनी देवी मंदिर - Vindhyachal Devi Temple

विंध्यवासिनी देवी

अन्य नाम

महामाया, दुर्गा, नारायणी, भद्रकाली, अंबिका, एकनामशा, शारदा, व्याधिनाशिनी, उग्रा, सौम्या, अपराजिता, आद्या, योगमाया, गोपकन्या, कृष्णा नुजा, कृष्णरक्षिका

संबंध

देवी, दुर्गा, महालक्ष्मी, महासरस्वती, महाकाली, आदि पराशक्ति

निवासस्थान

विंध्याचल, मणिद्वीप एवं विष्णु नेत्र

मंत्र

ॐ श्री विन्ध्येश्वर्ये नमो नमः

अस्त्र

त्रिशूल, खड्ग, कृपाण, तलवार, चक्र, शंख, धनुष बाण, कमंडलू, गदा, वरद मुद्रा

प्रतीक

श्री चिह्न एवं शक्ति बीसा यंत्र

दिवस

ज्येष्ठ शुक्ल षष्ठी, मंगलवार, शुक्रवार एवं सोमवार

माता-पिता

नंद बाबा (पिता) यशोदा (माता)

सवारी

शेर

विंध्यवासिनी, महामाया या योगमाया माँ दुर्गा के एक परोपकारी स्वरूप का नाम है। उनकी पहचान आदि पराशक्ति के रूप में की जाती है। उनका मंदिर उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के किनारे मिर्ज़ापुर से 8 किमी दूर विंध्याचल में स्थित है। एक तीर्थस्थल उत्तर प्रदेश में स्थित है, जिसे बंदला माता मंदिर भी कहा जाता है।

 

माँ विन्ध्यासिनी त्रिकोण यन्त्र पर स्थित तीन रूपों को धारण करती हैं जहां स्वयं माँ आदिशक्ति महालक्ष्मी विंध्यवासिनी के रूप में, अष्टभुजी अर्थात महासरस्वती और कालीखोह स्थित महाकाली के रूप में विराजमान हैं। मान्यता अनुसार सृष्टि आरंभ होने से पूर्व और प्रलय के बाद भी इस क्षेत्र का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हो सकता।

 

श्रीमद्देवीभागवत के दशम स्कन्ध में कथा आती है, सृष्टिकर्ता ब्रह्माजीने जब सबसे पहले अपने मन से स्वायम्भुवमनु और शतरूपा को उत्पन्न किया। तब विवाह करने के उपरान्त स्वायम्भुव मनु ने अपने हाथों से देवी की मूर्ति बनाकर सौ वर्षो तक कठोर तप किया। उनकी तपस्या से संतुष्ट होकर भगवती ने उन्हें निष्कण्टक राज्य, वंश-वृद्धि एवं परम पद पाने का आशीर्वाद दिया। वर देने के बाद महादेवी विंध्याचलपर्वत पर चली गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि सृष्टि के प्रारंभ से ही विंध्यवासिनी की पूजा होती रही है। सृष्टि का विस्तार उनके ही शुभाशीषसे हुआ।

शब्द-व्युत्पत्ति और अर्थ


देवी को उनका नाम विंध्य पर्वत से मिला और विंध्यवासिनी नाम का शाब्दिक अर्थ है, वह विंध्य में निवास करती हैं। जैसा कि माना जाता है कि धरती पर शक्तिपीठों का निर्माण हुआ, जहां सती के शरीर के अंग गिरे थे, लेकिन विंध्याचल वह स्थान और शक्तिपीठ है, जहां देवी ने अपने जन्म के बाद निवास करने के लिए चुना था।

जन्म


श्रीमद्भागवत पुराण की कथा अनुसार देवकी के आठवें गर्भ से जन्में श्री कृष्ण को वसुदेवजी ने कंस से बचाने के लिए रातोंरात यमुनानदी को पार गोकुल में नन्दजी के घर पहुंचा दिया था तथा वहां यशोदा के गर्भ से पुत्री के रूप में जन्मीं आदि पराशक्ति योगमाया को चुपचाप वे मथुरा के जेल में ले आए थे। बाद में जब कंस को देवकी की आठवीं संतान के जन्म का समाचार मिला तो वह कारागार में पहुंचा। उसने उस नवजात कन्या को पत्थर पर पटककर जैसे ही मारना चाहा, वह कन्या अचानक कंस के हाथों से छूटकर आकाश में पहुंच गई और उसने अपना दिव्य स्वरूप प्रदर्शित कर कंस के वध की भविष्यवाणी की और अंत में वह भगवती विन्ध्याचल पर आ गई।

पौराणिक मान्यताएँ


भगवती विंध्यवासिनी आद्या महाशक्ति हैं। विन्ध्याचल सदा से उनका निवास-स्थान रहा है। जगदम्बा की नित्य उपस्थिति ने विंध्यगिरिको जाग्रत देवीपीठ बना दिया है। महाभारत के विराट पर्व में धर्मराज युधिष्ठिर देवी की स्तुति करते हुए कहते हैं- विन्ध्येचैवनग-श्रेष्ठे तवस्थानंहि शाश्वतम्। हे माता! पर्वतों में श्रेष्ठ विंध्याचल पर आप सदैव विराजमान रहती हैं। पद्मपुराण में विंध्याचल-निवासिनी इन महाशक्ति को विंध्यवासिनी के नाम से संबंधित किया गया है- विन्ध्येविन्ध्याधिवासिनी।

जानकारियां - Information

बुनियादी सेवाएं

देख-रेख संस्था

श्री विन्ध्याचल मंदिर ट्रस्ट

द्वारा उद्घाटन

समर्पित

विंध्यवासिनी देवी

फोटोग्राफी

नि:शुल्क प्रवेश

कैसे पहुचें - How To Reach

पता

Vindhyachal, Mirzapur, Uttar Pradesh

सड़क/मार्ग

-

हवा मार्ग

Lal Bahadur Shastri International Airport

नदी

गंगा नदी  (Ganga)

वेबसाइट

https://matavindhyavasinidham.com/

फोन

N/A



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