रामकृष्ण जयंती - Ramakrishna Jayanti

रामकृष्ण जयंती - Ramakrishna Jayanti

हिन्दू पंचांग के अनुसार रामकृष्ण जयंती फाल्गुन शुक्ल द्वितीया तिथि को मनाई जाती है, यह जयंती एक महान संत, विचारक और समाज सुधारक स्वामी रामकृष्ण परमहंस के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है।

स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को पश्चिम बंगाल के कमरपुकुर गांव में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि रामकृष्ण के माता-पिता ने उनके जन्म से पहले ही अलौकिक घटनाओं का अनुभव किया था। रामकृष्ण जी एक संत थे और उन्हें परमहंस की उपाधि मिली। वास्तव में परमहंस उन्हें दी जाने वाली उपाधि है जो अपनी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति रखते हैं।

रामकृष्ण परमहंस जयंती कब मनाई जाती है?
इस वर्ष 2022 में रामकृष्ण परमहंस जयंती 4 मार्च, शुक्रवार को मनाई जाएगी।

रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद:
रामकृष्ण जी ने अनेक सिद्धियाँ प्राप्त कीं। उन्होंने अपनी इंद्रियों को नियंत्रित किया और एक महान विचारक और उपदेशक के रूप में कई लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने निराकार ईश्वर की उपासना पर बल दिया। अपने ज्ञान के प्रकाश के कारण उन्होंने नरेंद्र नाम के एक साधारण बालक को, जो अध्यात्म से कोसों दूर तर्क में विश्वास रखता था, उसे अध्यात्म से परिचित कराया।

भगवान की शक्ति से असीम शक्तियों का ज्ञान कराके, उन्हें नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद बना दिया। देश को ऐसा बेटा दिया जिसने देश सरहदों से पर जाकर सम्मान दिलाया। जिन्होंने युवाओं को जगरूप कर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, तथा देश जागरूकता का अभियान चलाया और अपने गुरु को गुरु-भक्ति प्रदान की।

रामकृष्ण परमहंस विवाह, पत्नी और माता काली की भक्ति:
राम कृष्ण परमहंस जी माँ काली के अनन्य भक्त थे। उन्होंने खुद को देवी काली को समर्पित कर दिया था। भले ही रामकृष्ण परमहंस जी का विवाह शारदामणि से हुआ हो, लेकिन उनके विचार में स्त्री के प्रति एक ही आस्था थी, और वो थी माता की एक मात्र भक्ति। उन्हें सांसारिक जीवन के लिए कोई उत्साह नहीं था, इसीलिए सत्रह वर्ष की आयु में उन्होंने घर छोड़ दिया और माता काली के चरणों में आत्मसमर्पण कर दिया। वह दिन-रात साधना में लीन रहते थे, दूर-दूर से लोग उनके दर्शन करने आते थे और वे स्वयं भी दिन-रात मां काली की भक्ति में लीन रहते थे।