Home » Omkareshwar Jyotirlinga – ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
Omkareshwar Jyotirlinga

Omkareshwar Jyotirlinga – ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

by appfactory25
0 comments 5 views

परिचय (Introduction)

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच एक द्वीप पर स्थित है। इस मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है और इसे शिवभक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है।

पौराणिक कथा (Mythological)

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा और उत्पत्ति से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं, जो इस पवित्र स्थान के महत्व को दर्शाती हैं।

1️⃣ राजा मंदाता की तपस्या और भगवान शिव का आशीर्वाद
प्राचीन काल में इक्ष्वाकु वंश के एक महान राजा मंदाता (जो भगवान राम के पूर्वज थे) ने इस स्थान पर घोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव स्वयं ज्योतिर्लिंग के रूप में यहाँ प्रकट हुए और राजा मंदाता को आशीर्वाद दिया। इस कथा के कारण इस ज्योतिर्लिंग को ममलेश्वर या ओंकारेश्वर के नाम से जाना जाता है।

2️⃣ दानवों और देवताओं के बीच युद्ध
एक अन्य कथा के अनुसार, एक समय देवताओं और दानवों के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें दानवों को लगातार जीत मिल रही थी। भयभीत होकर सभी देवता भगवान शिव की शरण में गए और प्रार्थना की। भगवान शिव ने देवताओं की रक्षा करने के लिए ओंकारेश्वर में प्रकट होकर यहाँ ज्योतिर्लिंग की स्थापना की। इस कारण इस स्थान को अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है।

3️⃣ ओंकार पर्वत का “ॐ” आकार में होना
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जिस द्वीप पर स्थित है, वह नर्मदा नदी के बीच एक पवित्र पर्वत पर स्थित है, जिसका आकार संस्कृत अक्षर “ॐ” जैसा दिखाई देता है। “ॐ” को ब्रह्मांड का आदि और अनंत ध्वनि माना जाता है, जो सृष्टि की उत्पत्ति और भगवान शिव की दिव्य ऊर्जा का प्रतीक है। इसी कारण इस स्थान को ओंकारेश्वर कहा जाता है।

4️⃣ आदि शंकराचार्य और उनके गुरु का दिव्य संवाद
एक अन्य महत्वपूर्ण कथा के अनुसार, प्रसिद्ध संत आदि शंकराचार्य ने अपने गुरु गोविंदपादाचार्य से यहीं पर ज्ञान प्राप्त किया था। युवा शंकराचार्य जब नर्मदा नदी पार कर रहे थे, तब उन्होंने इस स्थान की आध्यात्मिक शक्ति को महसूस किया और यहीं अपने गुरु की सेवा करते हुए वेदांत दर्शन का ज्ञान प्राप्त किया।

5️⃣ नर्मदा नदी और शिवजी की कथा
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, जब नर्मदा नदी का प्रवाह प्रारंभ हुआ, तब शिवजी ने स्वयं इसे वरदान दिया कि इसका जल हमेशा पवित्र और आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली रहेगा। इसलिए नर्मदा के जल से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का अभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

मंदिर का वास्तुशिल्प और इतिहास (Temple Architecture & History)

Omkareshwar Jyotirlinga Temple Architecture & History

ओंकारेश्वर मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला और नर्मदा नदी के बीच स्थित द्वीप पर होने के कारण प्रसिद्ध है। मंदिर की संरचना प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मंदिर भगवान शिव के ओंकार स्वरूप को समर्पित है और इसकी दीवारों पर सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है।

अद्वितीय स्थान – “ॐ” आकार का द्वीप
यह मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच स्थित एक द्वीप पर बना है, जिसका आकार “ॐ” जैसा दिखाई देता है। यह हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र ध्वनि मानी जाती है, जिससे इस मंदिर की आध्यात्मिकता और बढ़ जाती है।

नागर शैली की वास्तुकला (Nagara Style of Architecture)

  • ओंकारेश्वर मंदिर की संरचना प्राचीन नागर स्थापत्य शैली में बनाई गई है।
  • मंदिर में पत्थरों पर सुंदर नक्काशी की गई है, जिसमें भगवान शिव, देवी पार्वती, गणेश, नंदी, और अन्य देवी-देवताओं की आकृतियाँ उकेरी गई हैं।
  • मंदिर के शिखर (गर्भगृह के ऊपर का भाग) को पारंपरिक भारतीय मंदिरों की तरह गुंबदनुमा बनाया गया है।
  • गर्भगृह में स्वयंभू (स्वतः प्रकट) शिवलिंग स्थित है, जिसे भक्त जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करते हैं।

विशाल प्रांगण और मंडप (Spacious Courtyard and Mandap)

  • मंदिर का मुख्य प्रांगण बहुत विशाल है, जहाँ श्रद्धालु बैठकर ध्यान और भजन-कीर्तन कर सकते हैं।
  • मंदिर के अंदर एक मंडप (हॉल) भी है, जहाँ विशेष पूजा और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

संगमरमर की नक्काशी और द्वार

  • मंदिर के प्रमुख द्वार और स्तंभ संगमरमर से बनाए गए हैं, जिन पर सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है।
  • गर्भगृह के अंदर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए एक विशेष प्रवेश मार्ग बनाया गया है।

ओंकारेश्वर मंदिर का ऐतिहासिक महत्व (Historical Significance)

प्राचीन काल से पूजनीय स्थल

  • माना जाता है कि यह मंदिर पौराणिक काल से अस्तित्व में है और राजा मंदाता द्वारा स्थापित किया गया था।
  • आदि शंकराचार्य (8वीं शताब्दी) ने यहाँ अपने गुरु गोविंदपादाचार्य से शिक्षा प्राप्त की थी, जिससे इस स्थान की आध्यात्मिकता और बढ़ गई।

विभिन्न राजवंशों का संरक्षण

  • राजा भोज (11वीं शताब्दी): परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज ने इस मंदिर के पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार में योगदान दिया।
  • मराठा शासन (18वीं शताब्दी): पेशवा बाजीराव और होलकर वंश की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने मंदिर के पुनर्निर्माण और देखरेख का कार्य किया।
  • ब्रिटिश काल: औपनिवेशिक शासन के दौरान भी इस मंदिर का महत्व बना रहा और यह हिंदू भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल बना रहा।

आदि शंकराचार्य और ओंकारेश्वर

  • 8वीं शताब्दी में प्रसिद्ध संत आदि शंकराचार्य यहाँ आए और उन्होंने अपने गुरु गोविंदपादाचार्य से वेदांत दर्शन की शिक्षा प्राप्त की।
  • कहा जाता है कि उन्होंने यहाँ ध्यान और साधना कर अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों को प्रचारित किया।

मंदिर के खुलने और आरती का समय (Temple Timings & Aarti Schedule)

मंदिर दर्शन के लिए पूरे वर्ष खुला रहता है, लेकिन विशेष रूप से सावन, महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा के दौरान यहाँ भक्तों की भारी भीड़ होती है।

  • मंदिर खुलने का समय: सुबह 5:00 बजे
  • मंदिर बंद होने का समय: रात 10:00 बजे
  • आरती का समय:
    • प्रातः आरती: सुबह 5:30 बजे
    • मध्याह्न आरती: दोपहर 12:00 बजे
    • संध्या आरती: शाम 7:00 बजे

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुँचें? (How to Reach Omkareshwar Jyotirlinga)

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के पवित्र द्वीप पर स्थित है। यहाँ पहुंचने के लिए हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग से कई सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

1️⃣ हवाई मार्ग (By Air) – निकटतम हवाई अड्डे

यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं, तो सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा इंदौर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (Devi Ahilyabai Holkar Airport, IDR) है, जो ओंकारेश्वर से लगभग 77 किमी दूर स्थित है।

🔸 इंदौर एयरपोर्ट से ओंकारेश्वर कैसे पहुँचे?

  • इंदौर एयरपोर्ट से बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
  • इंदौर से ओंकारेश्वर के लिए टैक्सी का किराया लगभग ₹2000-₹3000 हो सकता है।
  • ट्रेन का विकल्प: इंदौर रेलवे स्टेशन से आप खंडवा या ओंकारेश्वर रोड स्टेशन के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं।

2️⃣ रेल मार्ग (By Train) – निकटतम रेलवे स्टेशन

ओंकारेश्वर जाने के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन (Mortakka) (OM) है, जो ओंकारेश्वर मंदिर से लगभग 12 किमी दूर है।

🚆 मुख्य रेलवे स्टेशन और दूरी:

  1. ओंकारेश्वर रोड स्टेशन (OM) – 12 किमी
  2. खंडवा रेलवे स्टेशन (KNW) – 72 किमी
  3. इंदौर रेलवे स्टेशन (INDB) – 77 किमी

ओंकारेश्वर रोड स्टेशन से मंदिर कैसे पहुँचे?

  • स्टेशन से ऑटो, टैक्सी और लोकल बसें उपलब्ध हैं।
  • टैक्सी का किराया लगभग ₹300-₹500 हो सकता है।

खंडवा रेलवे स्टेशन से ओंकारेश्वर कैसे पहुँचे?

  • खंडवा स्टेशन से लोकल बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं।
  • टैक्सी किराया लगभग ₹1500-₹2000 हो सकता है।

🚆 मुख्य शहरों से ट्रेनें:

  • दिल्ली से – ट्रेनें खंडवा और इंदौर के लिए उपलब्ध हैं।
  • मुंबई से – खंडवा और इंदौर के लिए सीधी ट्रेनें मिलती हैं।
  • भोपाल से – इंदौर या खंडवा के लिए ट्रेन लेकर वहाँ से टैक्सी/बस ले सकते हैं।

3️⃣ सड़क मार्ग (By Road) – प्रमुख मार्ग और बस सेवा

ओंकारेश्वर सड़क मार्ग द्वारा देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

🚗 निकटतम शहरों से सड़क मार्ग द्वारा दूरी:

  1. इंदौर से – 77 किमी (2 घंटे)
  2. खंडवा से – 72 किमी (1.5-2 घंटे)
  3. उज्जैन से – 140 किमी (3-4 घंटे)
  4. भोपाल से – 260 किमी (5-6 घंटे)
  5. दिल्ली से – 900 किमी (16-18 घंटे, NH 44 & NH 47 के माध्यम से)
  6. मुंबई से – 610 किमी (12-14 घंटे, NH 160 के माध्यम से)

🚌 बस सेवा:

  • इंदौर, उज्जैन, खंडवा, भोपाल, और अन्य शहरों से नियमित बसें चलती हैं।
  • निजी और सरकारी बसें दोनों उपलब्ध हैं।
  • इंदौर से ओंकारेश्वर के लिए बस का किराया ₹150-₹300 के बीच हो सकता है।

🚖 टैक्सी/कैब सेवा:

  • इंदौर, खंडवा और अन्य प्रमुख शहरों से कैब बुक की जा सकती है।
  • इंदौर से टैक्सी का किराया लगभग ₹2000-₹3000 हो सकता है।

4️⃣ नर्मदा नदी पार करने के विकल्प (Reaching the Temple from the Riverbank)

ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के बीच स्थित एक द्वीप पर स्थित है, इसलिए भक्तों को नदी पार करनी होती है।

🚤 नदी पार करने के तरीके:

  • पुल द्वारा: ओंकारेश्वर मंदिर के लिए एक पक्का पुल बना हुआ है, जिससे श्रद्धालु आसानी से पैदल मंदिर तक जा सकते हैं।
  • नौका सेवा (Boating): भक्त नौका (बोट) के माध्यम से भी नर्मदा नदी पार कर सकते हैं। नाव का किराया ₹20-₹50 के बीच होता है।

यात्रा के लिए सर्वोत्तम समय (Best Time to Visit)

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है, जहाँ पूरे साल भक्तों की भीड़ लगी रहती है। हालांकि, कुछ विशेष मौसम और त्योहार ऐसे होते हैं जब यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय होता है।

🌞 गर्मी (मार्च से जून)

  • इस दौरान दिन का तापमान 30°C से 42°C तक जा सकता है।
  • गर्मी के कारण यात्रा थोड़ी कठिन हो सकती है, लेकिन सुबह और शाम के समय दर्शन करना आरामदायक होता है।
  • यदि आप गर्मी में यात्रा कर रहे हैं, तो हल्के और आरामदायक कपड़े पहनें, और खूब पानी पिएं।

🌦️ मानसून (जुलाई से सितंबर)

  • इस दौरान तापमान 25°C से 35°C के बीच रहता है।
  • नर्मदा नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे मंदिर के आसपास की हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य निखर जाता है।
  • हालांकि, बारिश के कारण रास्ते फिसलन भरे हो सकते हैं, इसलिए सावधानी बरतें।
  • इस समय मंदिर और आसपास के स्थानों पर भीड़ कम होती है, जिससे आपको शांति से दर्शन करने का अवसर मिल सकता है।

❄️ सर्दी (अक्टूबर से फरवरी) – सबसे अच्छा समय

  • सर्दियों में तापमान 10°C से 25°C के बीच रहता है, जो यात्रा के लिए आदर्श है।
  • इस दौरान मौसम ठंडा और सुहावना होता है, जिससे मंदिर में दर्शन करने का अनुभव और भी दिव्य लगता है।
  • अधिकतर श्रद्धालु सर्दियों में ही ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा करना पसंद करते हैं।

🔹 निष्कर्ष: सर्दियों (अक्टूबर से फरवरी) में यहाँ आना सबसे अच्छा रहता है।

घूमने की जगह (Nearby Places to Visit)

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास कई अन्य धार्मिक और पर्यटन स्थल हैं:

1️⃣ ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mamleshwar Jyotirlinga) – 1 किमी

  • यह मंदिर नर्मदा नदी के दूसरी ओर स्थित है और इसे भी ज्योतिर्लिंग का ही एक भाग माना जाता है।
  • यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ की प्राचीन वास्तुकला भक्तों को आकर्षित करती है।
  • हिंदू ग्रंथों के अनुसार, ओंकारेश्वर और ममलेश्वर मिलकर एक ही ज्योतिर्लिंग बनाते हैं।
  • ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद, इस मंदिर के दर्शन करने से यात्रा पूर्ण मानी जाती है।

2️⃣ सिद्धनाथ मंदिर (Siddhanath Temple) – 1.5 किमी

  • यह शानदार नागर शैली की वास्तुकला में बना हुआ प्राचीन मंदिर है।
  • इसे परमार काल (9वीं-10वीं शताब्दी) में बनाया गया था और इसकी दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है।
  • यह मंदिर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और यहाँ से सुंदर घाटियों और नदी के अद्भुत दृश्य देखे जा सकते हैं।

3️⃣ कांची कामकोटि पीठ (Kanchi Kamakoti Peeth) – 2 किमी

  • यह शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार प्रमुख पीठों में से एक माना जाता है।
  • इस आश्रम में अध्यात्मिक शांति का अनुभव किया जा सकता है और यहाँ भगवद गीता एवं वेदांत का अध्ययन किया जाता है।
  • ओंकारेश्वर आने वाले श्रद्धालु अक्सर इस स्थान का भी दर्शन करते हैं।

4️⃣ गायत्री माता मंदिर (Gayatri Mata Temple) – 2.5 किमी

  • यह मंदिर गायत्री माता को समर्पित है और यहाँ नियमित रूप से हवन और मंत्र जाप किए जाते हैं।
  • यहाँ जाने से भक्तों को शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है।

5️⃣ नर्मदा घाट (Narmada Ghat) – 500 मीटर

नर्मदा नदी ओंकारेश्वर के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है और यहाँ स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलने की मान्यता है।
प्रमुख घाट:

  • अभिषेक घाट – नर्मदा स्नान के लिए प्रसिद्ध।
  • गोमुख घाट – यहाँ नर्मदा नदी का जलधारा एक गोमुख से गिरती है, जिसे पवित्र माना जाता है।
  • कजलीवन घाट – यह घाट एकांत और ध्यान के लिए प्रसिद्ध है।

6️⃣ राम मंदिर (Ram Mandir) – 3 किमी

  • इस मंदिर में भगवान श्रीराम की भव्य मूर्ति स्थित है।
  • यहाँ रामायण के प्रसंगों की झलक दिखाने वाली भित्तिचित्र (म्यूरल) बनाई गई हैं।
  • धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीराम ने यहाँ नर्मदा तट पर तपस्या की थी।

7️⃣ आनंद आश्रम और गुफा मंदिर (Anand Ashram & Cave Temple) – 3.5 किमी

  • यह प्रसिद्ध संत स्वामी आनंदजी का आश्रम है, जहाँ योग और ध्यान की शिक्षा दी जाती है।
  • गुफा मंदिर में भगवान शिव और गुरु शंकराचार्य की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
  • यह स्थान आत्मिक शांति और ध्यान के लिए उपयुक्त है।

8️⃣ ब्रह्मपुरी आश्रम (Brahmpuri Ashram) – 4 किमी

  • यह आश्रम अध्यात्म और योग साधना का प्रमुख केंद्र है।
  • यहाँ के साधु-संत ध्यान और योग की शिक्षा देते हैं, जिससे कई भक्त यहाँ कुछ समय बिताने आते हैं।

9️⃣ नर्मदा नदी पर झूला पुल (Suspension Bridge) – 2 किमी

  • यह पुल ओंकारेश्वर और ममलेश्वर मंदिर को जोड़ता है
  • यह पुल नर्मदा नदी के शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है और यहाँ से घाटों और मंदिरों का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है।
  • इसे झूला पुल या हेंगिंग ब्रिज (Hanging Bridge) भी कहा जाता है।

1️⃣0️⃣ कजली वन (Kajali Van) – 5 किमी

  • यह हरा-भरा जंगल क्षेत्र ओंकारेश्वर के पास स्थित है और इसे भगवान शिव का ध्यान स्थल माना जाता है।
  • यह स्थान प्राकृतिक प्रेमियों के लिए आदर्श है और यहाँ ट्रेकिंग भी की जा सकती है।
  • यह स्थान विशेष रूप से सावन महीने में बहुत प्रसिद्ध होता है

यात्रा के दौरान ध्यान देने योग्य बातें (Travel Tips for Visitors)

  • मंदिर परिसर में साफ-सफाई का ध्यान रखें और धार्मिक नियमों का पालन करें।
  • मौसम के अनुसार हल्के गर्म कपड़े या छाता साथ रखें।
  • मंदिर दर्शन के लिए प्रातः या संध्या आरती का समय सर्वश्रेष्ठ है।
  • होटल बुकिंग पहले से कर लें, खासकर त्यौहारों के दौरान।

निष्कर्ष (Conclusion)

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन के अलावा, भक्त ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग, सिद्धनाथ मंदिर, नर्मदा घाट, झूला पुल, राम मंदिर, ब्रह्मपुरी आश्रम और कजली वन जैसे सुंदर और धार्मिक स्थलों का भी दर्शन कर सकते हैं।

यदि आप ओंकारेश्वर आ रहे हैं, तो इन स्थलों को भी अपनी यात्रा में शामिल करें ताकि आपकी यात्रा अधिक यादगार और आध्यात्मिक बन सके।

You may also like

Leave a Comment